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अरविन्द दुबे की कविताएँ

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डॉ अरविन्द दुबे कविता का वितान व्यापक होता है । दुनिया की हर वस्तु, विचार या विषय कविता का संदर्भ हो सकता है । तो भला विज्ञान, जिसकी इस दुनिया को बदलने में एक बड़ी भूमिका है, कविता से परे कैसे रह सकता है । मुक्तिबोध की कविताओं में हमें स्पष्ट तौर पर यह वैज्ञानिकता दिखाई पड़ती है । बड़े सहज अंदाज में वे वैज्ञानिक तथ्यों को अपनी कविताओं में शामिल कर अपनी कविता का फलक व्यापक बना देते हैं । नरेश सक्सेना की कविताओं में भी यह वैज्ञानिकता स्पष्ट तौर पर दिखायी पड़ती है । अरविन्द दुबे पेशे से डॉक्टर (चिकित्सक) हैं और विज्ञान कविताएँ लिखते हैं । विज्ञान का सदुपयोग हमें कैसे और बेहतर बना सकता है जबकि हमारी संकीर्ण सोच विज्ञान को भी विकृत दिशा में मोड़ सकती है ।  अरविन्द दुबे की इसी भाव-भूमि की कुछ विज्ञान कविताएँ और कुछ अलग मिजाज की कविताएँ भी आप सबके लिए प्रस्तुत हैं ।    डॉ. अरविन्द दुबे की कविताएँ  अमृत - कलश की खोज में हमने भेजा है एक अंतरिक्ष यान अमृत - कलश की तलाश में , जिसे पी कर सब अमर हो जाएंगे। फिर न रहेगा डर आंतक का , गुंडों का , फियादीन य