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जयपुर में ‘मुक्तिबोध का मुक्तिकामी स्वप्नद्रष्टा’ पर विचार-गोष्ठी (प्रस्तुति : संज्ञा उपाध्याय)

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यह वर्ष हिन्दी के महत्वपूर्ण कवि मुक्तिबोध का जन्म-शताब्दी वर्ष है। विभिन्न पत्रिकाओं ने मुक्तिबोध पर विशेषांक निकाल कर उन्हें याद करने की कोशिश की है तो कुछ रचनाकारों ने मुक्तिबोध की रचनाओं के हवाले से उनकी प्रासंगिकता को साबित करने की कोशिश किया है। प्रख्यात कहानीकार रमेश उपाध्याय ने मुक्तिबोध की चर्चित कविता ‘अँधेरे में’ का पुनर्पाठ करने के क्रम में ‘ मुक्तिबोध का मुक्तिकामी स्वप्नद्रष्टा ’ नामक किताब लिखी है जो अभी हाल ही में प्रकाशित हुई है । यह मुक्तिबोध की कविता को समझने का एक बेहतर प्रयास है। रमेश उपाध्याय के 75वें जन्मदिन के अवसर पर जयपुर में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें इस किताब पर चर्चा की गयी। इस गोष्ठी की रपट हमें उपलब्ध कराया - संज्ञा उपाध्याय ने। देर से ही सही रमेश जी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए हम पहली बार पर प्रस्तुत कर रहे हैं जयपुर गोष्ठी की यह जरुरी रपट।                     ‘‘ मुक्तिबोध की कविता भारत में मार्क्सवाद की विफलता का महाकाव्य है। ’’— ऋतुराज (जयपुर में ‘ मुक्तिबोध का मुक्तिकामी स्वप्नद्रष्टा ’ पर विचार-गोष्ठी) प